Sarkari Yojana

राष्ट्रीय गोकुल मिशन: जानें उद्देश्य एवं मिलने वाले लाभ

Updated on 28th April, 2025, By Prashant Kumar
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राष्ट्रीय गोकुल मिशन: जानें उद्देश्य एवं मिलने वाले लाभ
राष्ट्रीय गोकुल मिशन (RGM) केंद्र सरकार के मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया है, जिसका उद्देश्य स्वदेशी गोजातीय पशुओं का संरक्षण करना, बोवाईन ब्रीड का विकास करना एवं दूध का उत्पादन बढ़ाकर पशुपालन व्यवसाय को किसानों के लिए और भी लाभकारी बनाना है. आज हम इस आर्टिकल में राष्ट्रीय गोकुल मिशन के उद्देश्य, लाभ सहित इस योजना से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातों पर चर्चा करने वाले हैं।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन एवं इसकी शुरुआत

भारत की गोजातीय आबादी में लगभग 80 प्रतिशत देशी नस्लें हैं। जिनमें से थारपारकर (राजस्थान), मालवी (मध्य प्रदेश), गिर (गुजरात), साहीवाल (पंजाब एवं हरियाणा), राठी (हरियाणा एवं राजस्थान) जैसी रोग-प्रतिरोधी, गर्मी को सहने वाली एवं हाई क्वालिटी दूध का उत्पादन करने वाली देशी नस्लों की संख्या 20 प्रतिशत के आसपास है, बांकी बची 80% निम्न-गुणवत्ता वाली नस्लें हैं, जिसका पालन छोटे एवं सीमांत किसानों द्वारा की जाती हैं। इन्हीं निम्न-गुणवत्ता वाली देशी नस्लों के जेनेटिक अपग्रेडेशन (अनुवांशिक उन्नयन) कर गोजातीय पशुपालन को अधिक लाभकारी बनाकर छोटे एवं सीमांत किसानों की बेहतरी के लिए  भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय गोकुल मिशन की शुरुआत दिसंबर 2014  में किया गया है।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन का उद्देश्य

राष्ट्रीय गोकुल मिशन (RGM) के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  • गो पशु एवं भैंसपालन का वैज्ञानिक स्तर पर संरक्षण एवं उन्नयन कर पशुधन को और भी लाभकारी बनाना.
  • भारत में गिर, साहीवाल, थारपारकर, लाल सिंधी जैसी कई बेहतरीन देशी नस्लों का संरक्षण करना एवं संख्या में वृद्धि करना गोकुल मिशन का प्रमुख उद्देश्य है।
  • देशी गायों की दूध देने की क्षमता को वैज्ञानिक तरीकों से बढ़ाना (जैसे - IVF तकनीक, कृत्रिम गर्भाधान, संतुलित आहार आदि) ताकि किसान अधिक उत्पादन कर सकें एवं उनकी आमदनी में बढ़ोतरी हो सके।
  • उन्नत सांडों एवं उनके शुक्राणुओं (semen) की व्यवस्था करना ताकि मवेशियों की नस्ल में सुधार हो एवं अगली पीढ़ी अधिक उत्पादक हो। इसके लिए देशभर में semen stations बनाना है।
  • देश के दूर-दराज इलाकों में भी कृत्रिम गर्भाधान सेवाएं पहुँचाना, ताकि हर किसान इसका लाभ ले सकें। इसके लिए MAITRI (Multi-purpose AI Technicians in Rural India) बनाए गए हैं।
  • IVF (In Vitro Fertilization), MOET (Multiple Ovulation and Embryo Transfer), एवं Sex-Sorted Semen जैसी तकनीकों के माध्यम से नस्ल में सुधार करना।
  • राष्ट्रीय गोकुल मिशन (RGM) के तहत किसानों को पशुपालन के नए तरीकों, पोषण प्रबंधन, प्रजनन तकनीक, एवं टीकाकरण जैसी जानकारियों पर प्रशिक्षण प्रदान करना।
  • गोकुल ग्राम मॉडल फार्म का विकास एवं विस्तार करना जहाँ पर देशी नस्लों का पालन, संरक्षण एवं प्रशिक्षण दिया जाए।
  • जब नस्लों में सुधार होता है तो दूध उत्पादन बढ़ता है, जिससे स्वाभाविक रूप से किसानों की आय में भी बढ़ोतरी होती है। यह इस योजना का सामाजिक उद्देश्य है।
  • इस योजना के माध्यम से भारत को विदेशी नस्लों पर निर्भरता कम कर अपने देशी संसाधनों से ही डेयरी उत्पादों की पूर्ति करने योग्य बनाना।
  • स्वदेशी नस्लों के दूध, घी, एवं अन्य उत्पादों की गुणवत्ता उच्च होती है, जिसका अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देना। जिससे देश की अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।

भारतीय परिपेक्ष्य में राष्ट्रीय गोकुल मिशन का महत्त्व

भारत में डेयरी उद्योग ग्रामीण अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा है। स्वदेशी नस्लों की उत्पादकता में वृद्धि से न केवल दूध उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि किसानों की आय में भी सुधार होगा। भारतीय सन्दर्भ में देखें तो यह मिशन ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण में भी योगदान दे रहा है. इस योजना के तहत विशेष रूप से महिलाओं को लाभ हो रहा है, क्योंकि पशुधन पालन में 70% से अधिक कार्य महिलाओं द्वारा किए जाते हैं।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत क्या-क्या पहल की गई हैं?

  • स्वदेशी नस्लों को विकसित करने के लिए एकीकृत पशु विकास केंद्र के रूप में गोकुल ग्राम की स्थापना की गई है।
  • पशुधन के बेहतरी के लिए राष्ट्रीय कामधेनु प्रजनन केंद्र की स्थापना की गयी है।
  • 12 अंकों की विशिष्ट पहचान संख्या की मदद से स्वदेशी पशुओं की पहचान एवं पता लगाने के लिए पशु संजीवनी की शुरुआत की गयी है।
  • मादा बछड़ों को पैदा करने के लिए देशभर में सेक्स-सॉर्टेड वीर्य सुविधा की स्थापना की गयी है।
  • भ्रूण स्थानांतरण एवं इन-विट्रो निषेचन केंद्रों की स्थापना की गयी है।
  • दूध उत्पादन एवं गोजातीय उत्पादकता बढ़ाने के लिए स्वदेशी नस्लों के लिए राष्ट्रीय गोजातीय जीनोमिक केंद्र की स्थापना की गयी है।
  • गुणवत्ता वाले गोजातीय जर्मप्लाज्म की उपलब्धता के बारे में किसानों एवं प्रजनकों को जोड़ने के लिए ई-पशुहाट पोर्टल विकसित किया गया है।
  • किसानों में जागरूकता पैदा करने के लिए राष्ट्रीय गोपाल रत्न एवं कामधेनु पुरस्कारों की शुरुआत की गयी है।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन के लिए बजट

  • इसससे दिसंबर 2014 में 500 करोड़ रुपये के शुरुआती बजट आवंटन के साथ शुरू किया गया था। 2020 में, वहीँ 2021 में इस योजना के लिए आवंटित राशि बढ़ाकर 2400 करोड़ रुपये करते हुए इसे नया रूप दिया गया। यानी इस योजना के लिए 2021 से 2026 तक 2400 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है।
  • इस योजना के अंतर्गत कवर अधिकांश कार्यों के लिए 100% अनुदान सहायता उपलब्ध है। कुछ विशिष्ट कार्यों के लिए पार्शियल सब्सिडी प्रदान की जाती है।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन का लाभ कौन ले सकते हैं?

राष्ट्रीय गोकुल मिशन (RGM) का लाभ वे किसान/पशुपालक उठा सकते हैं:

  • जो स्वदेशी गायों या भैंसों का पालन करते हैं।
  • जो कृत्रिम गर्भाधान सेवाओं का उपयोग करना चाहते हैं।
  • जो नस्ल सुधार कार्यक्रमों में भाग लेना चाहते हैं।
  • जो गौशाला या नस्ल गुणन फार्म स्थापित करना चाहते हैं।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत किसान को मिलने वाले फायदे

  • त्वरित प्रजनन (accelerated breeding) को बढ़ावा देने के लिए आईवीएफ प्रेगनेंसी में भाग लेने वाले किसानों को 5000 रुपये की सब्सिडी उपलब्ध कराई जाएगी।
  • सुनिश्चित गर्भावस्था के लिए सेक्स-सॉर्टेड सीमेन के लिए भाग लेने वाले किसानों को प्रति गर्भावस्था 750 रुपये या कुल लागत का 50% सब्सिडी दी जाएगी।
  • जागरूकता पैदा करने के लिए आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में किसान भाग ले सकते हैं.
  • पशुधन की उन्नति एवं विकास के लिए जागरूकता फैलाने वाले किसानों को पुरस्कार दिया जाएगा।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन की कमियां

  • कई दूरदराज क्षेत्रों में किसानों को योजना की जानकारी नहीं है।
  • कुछ क्षेत्रों में योजना के प्रभावी क्रियान्वयन में चुनौतियाँ हैं।
  • डेयरी क्षेत्र में नई तकनीकों को अपनाने के लिए किसानों को अधिक प्रशिक्षण की आवश्यकता है।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन का क्या प्रभाव हुआ है?

दिसंबर 2014 में आरजीएम के लॉन्च होने से लेकर वित्त वर्ष 2022-23 के अंत तक, निम्नलिखित प्रभाव देखे गए हैं:

  • दूध उत्पादन में 57.6% की वृद्धि देखी गयी.
  • दूध का उत्पादन 143.6 मीट्रिक टन से बढ़कर 230.60 मीट्रिक टन हो गई।
  • दूध उत्पादन में 5.9% की दर से वृद्धि हुई है।
  • गोजातीय पशुओं की औसत उत्पादकता में 24.3% की वृद्धि हुई.

राष्ट्रीय गोकुल मिशन में हाल ही में क्या प्रगति हुई है?

केंद्रीय बजट 2024-25 में चालू वित्त वर्ष के लिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन को 700 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

पशु स्वास्थ्य, डेयरी एवं पशुधन संरक्षण के लिए 100 दिवसीय कार्य योजना की परिकल्पना की गई है। कार्य योजना में वन हेल्थ के लिए पशु स्वास्थ्य प्रणाली सहायता, संशोधित राष्ट्रीय गोकुल मिशन एवं राष्ट्रीय चारा मिशन शामिल होंगे।

विभिन्न राज्यों में राष्ट्रीय गोकुल मिशन की स्थिति

राष्ट्रीय गोकुल मिशन की राज्यवार स्थिति में भिन्नताएँ हैं। कुछ राज्यों में योजना के तहत सफलतापूर्वक नस्ल सुधार कार्यक्रम एवं कृत्रिम गर्भाधान सेवाओं का विस्तार किया गया है, जबकि अन्य राज्यों में इन पहलुओं में सुधार की आवश्यकता है।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत लाभ कैसे उठाएँ?

RGM का लाभ नीचे दिए तरीके से उठा सकते हैं:

  • पहला स्टेप, किसानों/लाभार्थियों को कार्यान्वयन एजेंसी (आईए) के साथ पंजीकरण करना होगा।
  • उल्लिखित आईए राज्य पशुधन विकास बोर्ड (एसएलडीबी) / पशुपालन विभाग, राज्य दुग्ध संघ / राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) हैं।
  • दूसरा स्टेप, आईए पात्र लाभार्थियों का चयन करेंगे एवं एक अनुबंध पर हस्ताक्षर करेंगे।
  • तीसरा स्टेप, अनुबंध में प्रवेश करने पर, किसान प्रति गर्भावस्था 750 रुपये (परियोजना के पहले दो वर्षों के लिए) और तीसरे वर्ष से प्रति गर्भावस्था 400 रुपये का अपना हिस्सा जमा करेगा।

ट्रैक्टरकारवां की ओर से

राष्ट्रीय गोकुल मिशन (RGM) भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य स्वदेशी गोजातीय नस्लों के विकास, संरक्षण एवं उत्पादकता वृद्धि के माध्यम से डेयरी किसानों की आय में सुधार करना है। पशुधन का खान पान से लेकर देश की आर्थिक उन्नति में हमेशा से अहम् योगदान रहा है। ट्रैक्टरकारवां का लक्ष्य सभी किसानों/पशुपालकों को इस मिशन के उदेश्यों से अवगत कराना है, ताकि वे भी इस मिशन का हिस्सा बन, इसका लाभ उठाकर देशी गोजातीय नस्लों एवं पशुधन की उन्नति में अपना योगदान दे सकें।

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Prashant Kumar
Prashant Kumar is a seasoned Hindi content expert with interests in Tractors & Agriculture domain. He has over 12 years of experience and has worked for various media houses in the past. In his free time, he is a poet and an avid traveller.
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