भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहाँ कृषि क्षेत्र ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। इस प्रकार देश की एक बड़ी आबादी अपने जीवन-यापन के लिए सीधे कृषि पर निर्भर है, ऐसे में देश का आर्थिक विकास बिना कृषि के विकास के संभव नहीं है। कृषि के विकास के लिए जरुरी है कि कृषि मार्ग में आ रहे रोड़े से किसानों को निजात दिलाया जाए। वास्तविक परिदृश्य की बात करें तो आज किसानों को कम उत्पादकता, मौसम की अनिश्चितता, एवं उचित मूल्य की कमी, जैसे विविध समस्याओं से रूबरू होना पड़ता है। अगर देश को सामाजिक एवं आर्थिक मोर्चे पर सर्वोच्चता की ओर ले जाना है तो इन समस्याओं को पूरी तरह से ख़तम करना होगा।
सरकार ने आजादी के बाद से हमेशा से किसानों के इन समस्याओं को दूर के लिए प्रयास किया है, जिससे सुधार जरुर आया है, लेकिन अभी भी किसानों इनसे झुझना पड़ रहा है। इसी कड़ी में वर्तमान केंद्र सरकार की कैबिनेट ने कृषि की स्थति का समग्रता से अवलोकन कर एक महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना (PMDDKY) का अनुमोदन किया है। केंद्रीय बजट 2025-26 में पहली बार घोषित, योजना का डिजाईन 11 मंत्रालयों की वर्तमान में चल रही 36 केंद्रीय योजनाओं को एकीकृत करते हुए 100 कृषि-जिलों में विकास को गति देने के लिए किया गया है, जिसका वार्षिक खर्च वित्त वर्ष 2025-26 से शुरू होकर छह वर्षों की अवधि के लिए ₹24,000 करोड़ है। इस प्रकार इसके तहत वर्तमान में चल रही योजनाओं, जिसमें राज्य की योजनाओं को भी शामिल करते हुए वास्तविक धरातल पर इनकी परिणति का दूरदर्शी उद्देश्य रखा गया है। इस कार्यक्रम से 1.7 करोड़ किसानों को लाभ होने की संभावना है।
उल्लेखनीय है कि उपर्युक्त बताये उदेश्य की पूर्ति हेतु इसके अंतर्गत विभिन्न राज्यों के 100 जिलों की पहचान की गयी है। इन जिलों का चुनाव कुछ मानदंडों के आधार पर किया गया है, जो निम्न हैं-
उल्लेखनीय है कि इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में जिलों की संख्या का निर्धारण शुद्ध फसल क्षेत्र एवं जोत के हिस्से के अनुसार किया जाना है।
प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना के अंतर्गत प्रत्येक चुने गए ज़िले में ज़िला कलेक्टर या ग्राम पंचायत की अध्यक्षता में एक ज़िला धन-धान्य कृषि योजना (DDKY) समिति स्थापित की जाएगी। इस समिति में जिले के प्रगतिशील किसान एवं विभागीय अधिकारी शामिल किये जाएंगे। यह समिति योजना के उदेश्य की पूर्ति हेतु फ़सल विविधीकरण, मृदा एवं जल संरक्षण, प्राकृतिक एवं जैविक खेती का विस्तार, कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता लाने जैसे कार्यक्रमों की रुपरेखा तैयार करेगी।
उल्लेखनीय है कि योजना तीन-स्तरीय कार्यान्वयन संरचना के माध्यम से संचालित होगी:
ज़िला स्तर पर गठित टीमों की तरह ही राज्य स्तर पर भी गठित की जाएँगी, जिनका काम जिलों में योजना का प्रभावी तरीके से क्रियान्वयन सुनिश्चित करना है। इसी प्रकार केंद्रीय स्तर पर दो टीमें गठित की जाएँगी: एक केंद्रीय मंत्रियों के अधीन की जाएगी, एवं दूसरी सचिवों एवं विभागीय अधिकारियों के अधीन की जायेगी। प्रत्येक लेवल की टीमों का कार्य योजना लागू करने के लिए रणनीति बनाना, उनका कार्यान्वयन, एवं इसके बीच किसी प्रकार की आ रही समस्या का समाधान सुनिश्चित करना होगा।
इसके साथ ही ज़मीनी तल पर मोनिटरिंग को बेहतर करने के लिए, प्रत्येक ज़िले में केंद्रीय नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएँगे जो नियमित रूप से क्षेत्र का दौरा करेंगे, प्रगति की निगरानी करेंगे और स्थानीय टीमों के साथ समन्वय करेंगे।
जुलाई 2025 के अंत तक नोडल अधिकारियों एवं जिलों का चयन कर लिया जाना है। वहीँ अगले माह यानी अगस्त में प्रशिक्षण सत्र शुरू कर दिए जाएंगे। और अंततः अभियान की शुरुआत अक्टूबर में रबी सीज़न के साथ की जाएगी।
निश्चय ही भारतीय कृषि के लिए यह एक अभूतपूर्व योजना साबित होने वाला है। इस योजना का उदेश्य खाद्य उत्पादन के असंतुलन को कम करना है, यानी कृषि का समग्र विकास सुनिश्चित करना है। ध्यान देने योग्य एक प्रमुख बात यह है कि यह योजना (PMDDKY) केवल फसल कृषि पर ही नहीं, बल्कि फल, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन, पशुपालन एवं कृषि वानिकी पर भी केंद्रित होगी। इस योजना का मूलभूत उद्देश्य उत्पादकता में वृद्धि, कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र में मूल्यवर्धन, स्थानीय आजीविका का सृजन, घरेलू उत्पादन में वृद्धि कर किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त करना एवं आत्म-निर्भर बनाना है।
आशा है यह योजना भारत के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी क्योंकि कृषि क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। कृषि के उन्नति से किसानों की आय में वृद्धि होगी एवं उनकी क्रय शक्ति में सुधार होगा, जो उपभोक्ता बाजार को बढ़ावा देगा। इसके अलावा, यह योजना कृषि उत्पादकता एवं निर्यात को बढ़ाने में भी मदद करेगी। जब किसानों को उचित मूल्य मिलेगा एवं उनकी आय में वृद्धि होगी, तो ग्रामीण क्षेत्रों में समृद्धि आएगी, जो समग्र आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है।