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गुलाब की वैज्ञानिक खेती: जानें मिट्टी की तैयारी से लेकर फूलों की तोड़ाई तक की सभी जरुरी बातें

Updated on 23rd April, 2025, By Prashant Kumar
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गुलाब की वैज्ञानिक खेती: जानें मिट्टी की तैयारी से लेकर फूलों की तोड़ाई तक की सभी जरुरी बातें
गुलाब प्रकृति द्वारा दिया गया एक अनमोल तोहफा है। फूलों के राजा गुलाब को अक्सर प्यार एवं सुन्दरता का प्रतीक माना जाता है। आम इंसानों के दिलों एवं कवि-रचनाकारों की कल्पनाओं पर प्रकृति की इस अनुपम कृति ने हमेशा से राज किया है। प्यार, सौम्यता एवं जुनून का प्रतीक होने के साथ-साथ गुलाब फूल का उपयोग इत्र, पाक व्यंजनों एवं चिकित्सीय मिश्रणों में किया जाता रहा है। यह एक ऐसा फूल है जिसकी मांग वर्ष भर एक बनी रहती है, जिससे यह आर्थिक उपार्जन का स्थायी समाधान साबित हो सकता है। अगर वैज्ञानिक तरीके से गुलाब की खेती की जाए तो इससे वर्ष भर फूल प्राप्त किये जा सकते हैं। आज हम इस आर्टिकल में गुलाब की खेती के लिए मिट्टी की तैयारी, गुलाब की उन्नत किस्में, गुलाब के लिए आवश्यक जलवायु, गुलाब में लगने वाले रोग एवं बचाव सहित गुलाब की खेती से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी प्रदान करने वाले हैं।

गुलाब एवं इतिहास

गुलाब (रोजा हाइब्रिडा) रोजेसी कुल का सदस्य है। प्राचीन काल में भी इसकी महत्ता के हमें प्रमाण मिलते हैं। प्राचीन काल के कई ऐसे आभूषणों के अवशेष मिलते हैं, जिनपर गुलाब के फूल की चित्रकारी की गयी है। आभूषणों पर गुलाब के फूलों के साथ-साथ इसके पत्तियों की भी चित्रकारी की हुयी मिलती है। बाइबिल और प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में भी गुलाब का जिक्र मिलता है। आयुर्वेदा में भी गुलाब के औषधीय गुणों की चर्चा मिलती है। इस प्रकार गुलाब का प्राचीन काल से आज तक बहुत ही महत्त्व रहा है।

गुलाब की उत्पत्ति लगभग 5,000 वर्ष पूर्व मानी जाती है। मुख्य रूप से चीन, मध्य एशिया एवं भारत को इसकी उत्पत्ति स्थल माना जाता है। विश्व भर में गुलाब की हजारों किस्में उपलब्ध हैं और यह लगभग हर देश में उगाया जाता है।

गुलाब का हमारे लिए महत्त्व

गुलाब का उपयोग फूलों की सजावट, इत्र, गुलकंद, गुलाब जल, कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स, पूजा-पाठ एवं औषधीय कार्यों में किया जाता है। इसकी मांग वर्ष भर बनी रहती है, खासकर वेलेंटाइन डे, शादी-विवाह एवं त्योहारों में इसकी मांग एवं कीमतें दोनों बढ़ जाती हैं।

गुलाब की भारत में विकसित प्रमुख किस्में कौन-कौन सी हैं?

भारत में विकसित की गयी एवं यहाँ की जलवायु के अनुकूल गुलाब की प्रमुख किस्मों में पूसा सोनिया प्रियदर्शिनी, प्रेमा, मोहनी, बंजारन, डेलही प्रिंसेज एवं अन्य नाम शामिल हैं। वहीँ नूरजहाँ और डमस्क रोज ऐसी दो किस्में हैं, जिनकी मांग विशेषकर सुगन्धित तेल के निर्माण के लिए की जाती है।

भारतीय मौसम एवं मिट्टी के परिप्रेक्ष्य में गुलाब की खेती

गुलाब की खेती के लिए भारत की जलवायु उपयुक्त मानी जाती है। गुलाब बहुवर्षीय वर्ग का पौधा है, जिसकी खेती भारत के लगभग सभी राज्यों में की जाती है। गुलाब की सबसे अधिक प्रोडक्शन करने वाले भारत के राज्यों में जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, राजस्थान एवं पश्चिम बंगाल के नाम शामिल हैं। वैसे तो इसकी खेती भारत के प्रत्येक क्षेत्र में की जाती है, परन्तु भारत की दोमट मिट्टी जिसका पीएच मान 6.0- 7.0 हो एवं जिसमें ह्यूमस अधिक मात्रा में हो, आदर्श होती है। गुलाब के लिए रेतीली मिट्टी सबसे अच्छी जड़ जमाने वाली मिट्टी होती है।

गुलाब की खेती के लिए आवश्यक जलवायु

  • गुलाब के लिए ना अधिक ठंढी जलवायु की होनी चाहिए ना अधिक गर्म।
  • बुआई के समय ठंढा वातावरण इसके लिए उपयुक्त होता है।
  • गुलाब के लिए सबसे उपयुक्त तापमान: 15°C से 28°C के बीच माना जाता है।
  • कम से कम 5-6 घंटे की अवधि के लिए अच्छी मात्रा में सूर्य का प्रकाश पौधे पर पड़ना चाहिए।
  • तेज धूप वाली जगह में अच्छे फूल आते हैं, लेकिन अधिक गर्मी से बचाव जरूरी है।
  • अधिक नमी से फफूंद जनित रोग हो सकते हैं, इसलिए जल निकासी व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए।

गुलाब की व्यावसायिक खेती कैसे की जाती है?

गुलाब की खेती गमलों में, घर के पिछवाड़े, खेतों, छतों या घर के अंदर की जा सकती है। लेकिन व्यवसायिक तौर पर गुलाब की खेती खुली हवा एवं पॉलीहाउस दोनों में किया जा सकता है। वहीँ डच जैसे गुलाब की कुछ हाई क्वालिटी वाली हाइब्रिड किस्में हैं जिसके लिए मुख्य रूप से पॉलीहाउस में उगाना ही उपयुक्त हैं, जहाँ पर्यावरण की स्थितियाँ नियंत्रण में होती हैं। कमर्शियल लेवल पर गुलाब की खेती अत्यधिक लाभदायक हो सकती है क्योंकि कटे हुए फूलों एवं फूलों की सजावट, गुलदस्ते बनाने, उपहार देने के साथ-साथ गुलाब जल, गुलकंद, इत्र एवं कॉस्मेटिक्स जैसे गुलाब से बनाए जाने वाले प्रोडक्ट्स की मांग बढ़ने से गुलाब के फूलों की भी मांग बढ़ रही है।

गुलाब की खेती के लिए मिट्टी की तैयारी कैसे करें?

चाहे छोटे स्तर पर या कमर्शियल स्तर पर गुलाब की खेती की जाए, दोनों के लिए जरुरी है मिट्टी की उचित तैयारी। बिना मिट्टी के उचित शोधन किये हम बेहतर गुणवत्ता वाले गुलाब के फूल प्राप्त नहीं कर पायेंगें।

  • उपयुक्त स्थान के चुनाव करने के बाद सबसे पहले अगर भूमि उबड़-खाबड़ हो तो उसे समतल कर लें। समतल करने के दौरान यह भी सुनिश्चित करें कि मिट्टी में कंकड़-पत्थर या फिर कोई भी अवांछित अवशेष ना रहे।
  • मिट्टी को पलटने के लिए देशी हल या ट्रैक्टर से जोड़कर चलाये जाने वाले इम्प्लीमेंट कल्टीवेटर का प्रयोग कर सकते हैं।
  • मिट्टी को पूरी तरह भुरभुरा बनाना है, हो सकता है इसके लिए आपको 2 से 3 बार खेत में कल्टीवेटर या देशी हल चलाना पड़े। रोटावेटर का प्रयोग कर आप मिट्टी को पूरी तरह से भुरभुरा बना सकते हैं।
  • मिट्टी पूरी तरह भुरभुरी हो जाने के बाद खेत की लंबाई चौडाई का आकलन करते हुए उचित दूरी पर बेड/क्यारी बना लें।
  • बेड/क्यारी से बेड/क्यारी के बीच की दूरी 5 फीट रखें एवं पौधे से पौधे की दूरी 3 फीट का रखें।
  • अगर उपलब्ध हो तो गोबर के साथ-साथ सरसों की खल्ली का भी प्रयोग करें, जिससे मिट्टी में आवश्यक पोषक तत्व बने रहेंगे एवं गुलाब के पौध का उचित एवं स्वस्थ विकास हो पायेगा।  
  • मिट्टी की प्रकृति के हिसाब से आप नाइट्रोजन, फास्फेट एवं पोटाश की भी जरुरी मात्रा में प्रयोग करें। ताकि पौधे को अपने विकास के लिए आवश्यक हर पोषक तत्व की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके।

गुलाब की खेती के लिए बीज की तैयारी कैसे करें?

गुलाब के बीज की तैयारी सामान्यतः कटिंग या ग्राफ्टिंग द्वारा की जाती है। बीज से पौधा तैयार करने की विधि भी अपनाई जाती है, लेकिन यह प्रक्रिया धीमी होती है।

  • बीज को हल्के गरम पानी में 24 घंटे भिगोने के बाद रोपना चाहिए।
  • कटिंग 6–8 इंच लंबी एवं 3–4 कली वाली होनी चाहिए।
  • ग्राफ्टिंग के लिए रोगमुक्त मूल पौधे का चयन करना चाहिए।

गुलाब की रोपाई का उपयुक्त समय क्या है?

गुलाब को मानसून के बाद लगाया जाना चाहिए, लेकिन सबसे अच्छा समय सितंबर से अक्टूबर है। वहीँ पहाड़ी क्षेत्रों में इसकी रोपाई का सबसे अच्छा समय फरवरी एवं मार्च का महिना है।

गुलाब की रोपाई कैसे करें?

खेतों में लगभग एक फीट ऊँची बेड बनाने के बाद 3 फीट के अंतराल पर गुलाब के कटिंग तने/कलम की रोपाई की जानी चाहिए। कलम आप नर्सरी से ला सकते हैं, या यदि आपके पास पौधे हों पहले से तो खुद कलम की कटिंग कर सकते हैं। उल्लेखनीय है कि कलम न्यूनतम 3 महीने पुराने पौधे से ही निकाले जाने चाहिए। ध्यान रहे गुलाब का कलम तैयार की गयी मिट्टी से बनाए गए बेड पर लगाते समय मिट्टी में नमी बनी रहनी चाहिए, ताकि पौधे अपने आइडियल टाइम में विकसित हो पाएं।

गुलाब के पौधे की रोपाई के बाद आवश्यक देखभाल कितना जरुरी है?

मिट्टी की तैयारी एवं पौधे की रोपाई तक ही कार्य समाप्त नहीं हो जाता बल्कि पौधे के प्रारंभिक विकास, परिपक्व होने से लेकर फूलों की तोड़ाई तक फसल की नियमित देखभाल की जरुरत होती है। इसमें कटाई-छंटाई एवं विटरिंग सहित अन्य क्रियाएं शामिल है।

अगर आप बेहतर गुलाब का फूल प्राप्त करना चाहते हैं तो कटाई-छंटाई पौधे की रोपाई के बाद की सबसे प्रमुख क्रिया है। इसके अंतर्गत हम स्वस्थ शाखाओं को छोड़कर सभी सूखे एवं बीमारयुक्त शाखा को काट के हटा देते हैं। इसके साथ ही इसमें स्वस्थ शाखाओं की छटाई यानी छोटा करते हैं।

इसके साथ ही विटरिंग क्रिया नही की जानी चाहिए, जिसमें हम जड़ों से थोड़ी मिट्टी को हटाकर जड़ों को 7 से 10 दिनों तक खुली हवा में छोड़ देते हैं। इसके बाद हटाये गए मिट्टी में कम्पोस्ट मिलाकर फिर जड़ों को ढक देते हैं। इस क्रिया से जड़ों को पौध के विकास के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की उपलब्धता कराई जाती है।

इसके साथी ही पौधे के आस-पास उगने वाले अनावश्यक खरपतवार को निकाई-गुड़ाई कर हटाने के साथ-साथ ही समय-समय पर सिंचाई करने की भी आवश्यकता है। पानी की कमी से पौधे सूख जाते हैं, एवं उपयुक्त विकास नहीं कर पाते हैं। इसलिए मिट्टी को हमेशा नम बनाए रखना आवश्यक है।

गुलाब की फसल में लगने वाले रोग एवं कीटों का नियंत्रण

प्रायः हर फसल रोग एवं कीटों के आक्रमण से प्रभावित होते हैं, यदि समय रहते उनपर काबू ना पाया जाए तो किसानों की पूरी फसल नष्ट हो सकती है। गुलाब में भी कीटों एवं रोगों का आक्रमण होता है, जिससे फसल को समय पर बचाना आवश्यक है। गुलाब को नुकसान पहुँचाने वाले कीटों/कीड़ों में दीमक, रेड स्केल, जैसिडी, लाही (माहो) के नाम प्रमुख रूप से आते हैं। इसके थीमेट नाम की दावा होती है, जिसे उपयुक्त मात्रा में मिट्टी में मिलाने से इन कीड़ों का प्रकोप समाप्त हो जाता है। वहीँ रेड स्केल, जैसिडी पर नियंत्रण के लिए सेविन या मालाथियान का छिडकाव कर सकते हैं।

गुलाब में छंटाई के बाद कटे भाग पर लगने वाली एक बीमारी डाईबैक है, जिसके फैलने से पौधे जड़ तक सूख जाते हैं। इस बीमारी से बचाव के लिए तने की कटाई समय ही कटे भाग पर चौबटिया पेस्ट  (4 अंश कॉपर कार्बोनेट + 4 भाग रेड लेड + 5 भाग तीसी का तेल) एवं मालाथियान का छिडकाव करना चाहिए।

इसके अलावे ब्लैक स्पॉट एवं पाउडरी मिल्ड्यू जैसी बिमारियों का प्रकोप भी गुलाब के पौधे पर होता है। इसकी रोकथाम के लिए केराथेन या सल्फेक्स का छिडकाव करना चाहिए।

गुलाब के साथ-साथ अन्य किन फसलों को उगाया जा सकता है?

गुलाब की खेती में खेत का पूरा ले आउट कर जो बेड/क्यारियां बनायीं जाती है, उसकी आपस में दूरी एक से डेढ़ मीटर रखी जाती है। इस गैप का उपयोग किसान अन्य फसल के लिए कर सकते हैं। इन गैप्स यानी दो बेड के बीच के बचे जगह की निराई-गुड़ाई कर गुलाब के साथ-साथ किसान मेथी, पालक, धनियाँ एवं अरबी की खेती कर सकते हैं।

ट्रैक्टरकारवां की ओर से

गुलाब की वैज्ञानिक एवं योजनाबद्ध खेती से किसान भाई अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इसके लिए सही जलवायु, मिट्टी, उन्नत तकनीक एवं नियमित देखभाल की जरुरत होती है। यदि आप थोड़े तकनीकी ज्ञान एवं बाजार की समझ के साथ खेती करें, तो गुलाब आपकी आमदनी को कई गुना बढ़ा सकता है। हमनें इस आर्टिकल में गुलाब की वैज्ञानिक खेती से संबंधित संभी आवश्यक जानकारी को समेटने का प्रयास किया है।

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Prashant Kumar is a seasoned Hindi content expert with interests in Tractors & Agriculture domain. He has over 12 years of experience and has worked for various media houses in the past. In his free time, he is a poet and an avid traveller.
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