कृषि

खेत नहीं है फिर भी आप कर सकते हैं खेती, जानें क्या है ये नई तकनीक

Updated on 24th March, 2025, By प्रशांत कुमार
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खेत नहीं है फिर भी आप कर सकते हैं खेती, जानें क्या है ये नई तकनीक
दुनियां तेजी से विज्ञान एवं तकनीकी क्षेत्र में नित नए इनोवेशन कर रही है। हमनें तकनीकों की मदद से बैलगाड़ी से बुलेट ट्रेन एवं उड़ने वाली कार तक का सफ़र तय किया है। विकास के इस दौड़ में कृषि क्षेत्र ने भी नए आयामों को छुआ है। कृषि ने पारंपरिक तरीकों से आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस (AI) टेक्निक्स तक का सफ़र तय किया है। आज कृषि में भी आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का उपयोग फसल की निगरानी, कीटों के प्रबन्धन एवं रोग का पता लगाने जैसे कार्यों के लिए किया जाने लगा है। इसी विकास की कड़ी में एक ऐसी नई तकनीक ‘’हाइड्रोपोनिक फार्मिंग’’ ने अपनी उपस्थिति दर्ज की है, जो न केवल कृषि की दिशा को बदलने वाली है, बल्कि हमारे जीवन को भी एक नई दिशा एवं ऊँचाई दे सकती है।

भारत में यह तकनीक अपने विकास के प्रारंभिक चरण में है, लेकिन विदेशों में ‘’ हाइड्रोपोनिक फार्मिंग’’ का किसानों द्वारा बहुतायत में प्रयोग किया जाता रहा है। लेकिन हाल ही में भारत के प्रतिष्ठित संस्थान, IIT कानपुर के वैज्ञानिकों ने मिट्टी के बिना खेती करने के इस तकनीक को भारतीय कृषि परिस्थितियों के अनुकूल, किफायती एवं सरल बनाकर भारत में इसे चर्चा में ले आया है एवं छोटे किसानों की भी इस तकनीक तक पहुँच सुनिश्चित कर दी है। इस नए तकनीक के माध्यम से अब हमारे भोजन के लिए आवश्यक उन्नत किस्म की फसलें बिना मिट्टी के उगाई जा सकेंगी। यह सुनने में अजीब लग सकता है, कि बिना मिट्टी के फसल कैसे उगा सकते हैं। लेकिन यह सच है एवं हमारे देश के वैज्ञानिकों ने अब इस तकनीक के माध्यम से केसर, अनानास, स्ट्रॉबेरी जैसे फसलों को बिना मिट्टी के उगाना संभव बना दिया है। यह तकनीक कृषि क्षेत्र में आगे चलकर एक क्रांति लाने की क्षमता रखता है। यह न केवल किसानों के लिए वरदान साबित होने वाला है, बल्कि यह उन तमाम लोगों के लिए एक उम्मीद की किरण की तरह है, जो पर्यावरण के संकट एवं बढ़ती जनसंख्या के बीच फ़ूड सिक्योरिटी को लेकर चिंतित हैं। आज हम आपको इस आर्टिकल में बिना मिट्टी के खेती यानी बिना खेत की खेती करने के इस नए तकनीक से जुड़ी सभी जरुरी जानकारी देने वाले हैं। हमारा प्रमुख उद्देश्य किसानों को नए तकनीकों की जानकारी देकर उनके कृषि कार्यों को आसान एवं लाभकारी बनाना है।

क्या होता है हाइड्रोपोनिक फार्मिंग?

यह तकनीक कृषि के पारंपरिक तरीके से पूरी तरह अलग है, जिसमें मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती। इसके बजाय, पौधे पानी में मौजूद खनिजों एवं पोषक तत्वों को अवशोषित कर अपना विकास करते हैं। यह तकनीक हाइड्रोपोनिक्स एवं एरोपोनिक्स प्रणाली पर आधारित है, जिसमें पौधे विकास के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्व पानी एवं हवा के माध्यम से ग्रहण करते हैं। इस प्रणाली में, पौधों को उनकी प्राकृतिक वृद्धि के लिए आवश्यक सभी तत्व पानी के माध्यम से दिए जाते हैं, जिससे फसल के स्वस्थ विकास के लिए मिट्टी की आवश्यकता पूरी तरह समाप्त हो जाती है। इस तकनीक के विकास से किसान न केवल अपनी उपज को बढ़ा सकेंगे, बल्कि साथ ही साथ पानी की बचत भी कर सकेंगे। इस प्रकार कहें तो हाइड्रोपोनिक फार्मिंग एक ऐसी तकनीक है, जिसमें पौधे मिट्टी के बजाय पानी में उगाए जाते हैं। इसमें एक विशेष मिक्सचर के माध्यम से पानी में सभी जरूरी पोषक तत्व दिए जाते हैं। जिससे पौधे को पानी से ही वे सभी पोषक तत्व प्राप्त हो जाते हैं, जो पारंपरिक/प्राकृतिक तरीकों में मिट्टी से प्राप्त करनी होती है। इस प्रोसेस में पानी का संचार एक नियंत्रित तरीके से होता है, जिससे पौधों को उनकी पूरी जरूरत का पोषण मिलता रहता है।

IIT कानपुर द्वारा विकसित तकनीक

कोई भी कृषि तकनीक तभी कारगर हो सकती है, जब वो उस स्थान विशेष के जलवायु के अनुकूल हो। आईआईटी कानपुर के SIIC में इनक्यूबेट किया गये स्टार्टअप एक्वासिंथेसिस के अंतर्गत हाल ही में हाइड्रोपोनिक फार्मिंग को भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल बनाने के लिए एक नई एवं यूनिक तकनीक विकसित किया है। इस नई तकनीक से अब कम लागत में केशर, टमाटर, खीरा, स्ट्रॉबेरी, बेल पेपर और हर्ब्स जैसी महंगी फसलों को भी बिना मिट्टी के उगाया जा सकता है। इस तकनीक की महत्ता और भी इस लिए बढ़ जाती है क्योंकि इन फसलों की मांग बाजार में लगातार बढ़ रही है, लेकिन उस हिसाब से इनका उत्पादन पारंपरिक कृषि पद्धतियों से संभव नहीं हो पा रहा है। साइंस एवं टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में इसे एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि यह तकनीक ना केवल फसल उत्पादन में आने वाली लागत को कम करती है, बल्कि यह पानी जैसे अन्य बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधनों को भी बचाने में सहयोगी साबित हो सकती है।

हाइड्रोपोनिक फार्मिंग तकनीक के क्या-क्या लाभ हैं?

  • सबसे पहला लाभ तो यह है कि इस तकनीक में आपको मिट्टी की जरुरत नहीं होती है, जिससे आप इस सेट-अप को अपने घर के छत पर या घर के कृषि बड़े हॉल में भी लगा कर फसल का उत्पादन कर सकते हैं। इसके साथ ही इस तकनीक के माध्यम से उन क्षेत्रों में भी कृषि करना संभव है, जहाँ के मिट्टी की क्वालिटी अनुपजाऊ या स्वस्थ फसल के विकास के अनुकूल नहीं है।
  • इस तकनीक के माध्यम से आप पानी के कम खपत पर बेहतर फसल उत्पादन करने में सक्षम होते है। इस तकनीक में नियंत्रित तरीके से फसलों में उतनी ही पानी दी जाती है, जितना उसके विकास के लिए जरुरी हो। इस प्रकार इस विधि में पानी की बर्बादी नहीं होती है, जो जल के संकट का सामना कर रहे क्षेत्रों के लिए एक वरदान है।  
  • हाइड्रोपोनिक फार्मिंग के तहत किसान कम जगह में अधिक फसल उत्पादन का लाभ ले सकते हैं। इस प्रकार यह शहरी क्षेत्रों के अनुकूल है, जहाँ जगह की कमी होती है।
  • इस तकनीक के अंतर्गत पौधों को नियंत्रित तरीके से उपयुक्त खाद एवं पोषक तत्व दिये जाते हैं, जिससे फसल की गुणवत्ता में सुधार होने के साथ-साथ उत्पादकता सामान्य से अधिक होती है।
  • रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों का प्रयोग से ना केवल फसल की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं, बल्कि पर्यावरण के लिए भी नुकसानदेह होता है। इस तकनीक में इन केमिकल्स का उपयोग कम होता है, जिससे पर्यावरण को कम नुकसान होता है।

हाइड्रोपोनिक्स फार्मिंग के टाइप एवं उपयुक्त फसलें

पानी के माध्यम से पोषक तत्व दिये जाने के तरीके के बेसिस पर हाइड्रोपोनिक्स फार्मिंग के विभिन्न प्रकार है। आइये जानते हैं, इनके विभिन्न तरीके एवं उनके लिए उपयुक्त फसलों के बारे में:

हाइड्रोपोनिक्स फार्मिंग टाइप

लाभ

उपयुक्त फसलें

विकिंग सिस्टम (Wicking System)

 

आसान एवं किफायती सिस्टम जो छोटे पौधे के लिए उपयुक्त

जड़ी-बूटियां एवं छोटी पत्तीदार सब्जियाँ

डीप वाटर कल्चर (DWC)

पत्ते-वाली सब्जियों के लिए बेस्ट, पौधे तेजी से विकास करने में सक्षम

सलाद एवं पालक जैसे सब्जियों के लिए उपयुक्त

एनएफटी

कमर्शियल कृषि के लिए बेस्ट

टमाटर, खीरा एवं पत्तेवाली सब्जियों के लिए उपयुक्त

ड्रिप सिस्टम (Drip System)

पानी एवं पोषक तत्वों का बेहतर कंट्रोल

टमाटर एवं मिर्च के लिए उपयुक्त

एरोपोनिक्स

मॉडर्न तकनीक, पौधे का तेज विकास संभव

आलू, टमाटर एवं मिर्च के लिए बेस्ट

क्रेकी सिस्टम

कम देखभाल की जरुरत

लेट्यूस, पलक एवं तुलसी

इब्ब एंड फ्लो (Ebb & Flow)

जड़ों को बेहतर आक्सीजन मिलता है

फूल, जड़ी-बूटियों एवं सब्जियों के लिए उपयुक्त

हाइड्रोपोनिक फार्मिंग शुरू करने में कितना खर्च आता है?

हाइड्रोपोनिक फार्मिंग शुरू करने में पारंपरिक कृषि प्रणाली से थोड़ी अधिक लागत की जरुरत होती है, क्योंकि इसके लिए आपको एक सेट-अप तैयार करने की जरुरत होती है। लेकिन एक बार सेट-अप तैयार हो जाने के बाद फिर आपको आगे चलकर लागत पारंपरिक कृषि से भी कम पड़ती है। अगर आप छोटे पैमाने पर अपने घर में इसके लिए सेट-अप तैयार करवाते हैं, तो आपको 20 से 50 हजार की लागत पड़ सकती है। वहीँ अगर बड़े पैमाने पर यानी कमर्शियल लेवल पर लगभग एक एकड़ में हाइड्रोपोनिक फ़ार्म सेट-अप तैयार करने की लागत 10 लाख से 20 लाख तक आ सकती है। उल्लेखनीय है कि इसमें ग्रीनहाउस सेटअप, पोषक तत्वों के लिए आवश्यक घोल, जल आपूर्ति, एवं बिजली आपूर्ति में लगने वाली लागत भी शामिल है।

हाइड्रोपोनिक फार्मिंग शुरू करने की ट्रेनिंग कहाँ मिलेगी?

हाइड्रोपोनिक फार्मिक तकनीक सामान्य कृषि प्रणाली से थोड़ी जटिल होती है। आपको कृषि शुरू करने के पहले इस तकनीक की पूरी जानकारी लेनी आवश्यक है। इसकी जानकारी के लिए आप अपने जिले के कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क कर उचित ट्रेनिंग प्राप्त कर सकते है। इसके साथ ही कई ऐसे संस्थान है, जो हाइड्रोपोनिक फार्मिंग की पूरी ट्रेनिंग देने के साथ-साथ सेट-अप तैयार करने में भी आपको गाइड करते हैं। इसके अलावे आपको ऑनलाइन भी इस सम्बन्ध में जानकारी मिल जाएँगी। 

प्रशांत कुमार
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प्रशांत कुमार
प्रशांत कुमार ट्रैक्टर एवं कृषि क्षेत्र में रुचि रखने वाले एक अनुभवी हिंदी कंटेंट एक्सपर्ट हैं। लेखनी के क्षेत्र में उनका 12 वर्षों से अधिक का अनुभव है। उन्होंने इससे पूर्व में विभिन्न मीडिया हाउसेस के लिए काम किया है। अपने खाली समय में, वे कविता लिखना, पुस्तकें पढ़ना एवं ट्रेवल करना पसंद करते हैं।
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