फेरोमोन ट्रैप एक उपकरण है, जिसे कीटों के नियंत्रण के लिए बनाया गया है, जिसमें नर कीटों को आकर्षित करने के लिए गंध वाले आर्टिफीसियल फेरोमेन ल्यूर का प्रयोग किया जाता है। यह वही गंध होता है, जिसका इस्तेमाल मादा कीट नर कीटों को आकर्षित करने के लिए करती है।
किसानों के लिए कीटों का नियंत्रण एक महत्वपूर्ण चुनौती है, क्योंकि समय रहते अगर इसको नियंत्रित नहीं किया जाए तो यह फसलों को नुकसान पहुंचा कर कृषि उत्पादन को घटा सकती है। फसल को नुकसान पहुँचाने वाले कीटों के नियंत्रण के लिए मार्केट में विभिन्न प्रकार के रासायनिक कीटनाशक उपलब्ध हैं। कीटों के नियंत्रण में ये प्रभावी तो हैं, लेकिन इसके प्रयोग से पर्यावरण एवं कुछ अंशों में फसलों को भी नुकसान पहुँचता है।
वैसे किसान जो बिना किसी रसायन का प्रयोग कर खेती कार्य करना चाहते हैं, जो जैविक कृषि से जुड़े हैं, कीटों के नियंत्रण का यह तरीका उपयुक्त नहीं हो सकता है। उनके लिए, फेरोमोन ट्रैप तकनीक कीटों के नियंत्रण का सबसे उपयुक्त एवं प्रभावी तरीका हो सकता है, क्योंकि इसमें कोई रसायन या जहरीले तत्व नहीं होते हैं एवं ये पर्यावरण के अनुकूल भी होते हैं। आज हम उस आर्टिकल में कीटों के नियंत्रण की तकनीक फेरोमोन ट्रैप क्या है, इसके प्रकार, कार्यप्रणाली, उपयोगिता, इसके फायदों एवं सीमाओं सहित कीटों पर नियंत्रण के इस तकनीक के बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं। तो यदि आप प्राकृतिक तरीके से अपने फसलों को कीटों से होने वाले नुकसान से बचाना चाहते हैं, तो इस आर्टिकल को ध्यान से पढ़ें।
फेरोमोन ट्रैप एक प्रकार का उपकरण है, जिसमें आर्टिफीसियल फेरोमेन ल्यूर का प्रयोग कर नर कीटों को अपने ट्रैप में फसाया जाता है। यह कीटों को नियंत्रित करने का एक सरल एवं किफायती तरीका है। यह ट्रैप अपनी संरचना एवं प्रकृति के अनुसार निम्न प्रकार के होते हैं:
फेरोमोन एक प्रकार का कार्बनिक पदार्थ है, जिसमें मादा कीट/पतिंगा/मोथ द्वारा नर कीट को प्रजनन क्रिया हेतु आकर्षित करने के लिए निष्कासित किया जाता है। इससे एक प्रकार का गंध गंध निकलता है, जिससे नर कीट को मादा कीट की उपस्थिति का सन्देश मिलता है। जब नर कीट तक फेरोमोन का गंध जाता है, तो वे मादा कीट की उपस्थिति होने के भ्रम में पड़कर ट्रैप की ओर आकर्षित होते हैं एवं फंस जाते हैं। इससे न केवल कीटों की संख्या घटती है, बल्कि यह उनके प्रजनन चक्र को भी बाधित करता है, जिससे उनके विकास में रुकावट आती है। फेरोमोन ट्रैप तकनीक में प्रयोग किये जाने वाले फेरोमोन को कृत्रिम रूप से बनाया जाता है। जिस कीट का नियंत्रण करना है, उसके लिए उसी प्रजाति के मादा कीट के ल्यूर का उपयोग किया जाता है।
फेरोमोन ट्रैप का उपयोग विभिन्न प्रकार की फसलों में किया जा सकता है, जिनमें शामिल हैं:
उपर्युक्त के अलावे फेरीमोन ट्रैप गोभी, मक्का, जूट, भिंडी, स्वीट-कोर्न, मूंगफली, अमरुद, नारियल, आलू, तिलहन एवं दलहन सहित अन्य फसलों के लिए भी कारगर होता है।
फेरोमोन ट्रैप का उपयोग कई प्रकार के कीटों के नियंत्रण के लिए किया जा सकता है। कुछ प्रमुख कीटों में शामिल हैं:
जिस कीट का नियंत्रण करना होता है, ट्रैप में उसी प्रजाति के मादा कीट के ल्यूर का प्रयोग किया जाता है। नीचे कुछ ल्यूर के प्रकार दिए गए हैं, जो मार्केट में किसान आसानी से खरीद सकते हैं:
इस प्रकार आप कीटों की पहचान कर उसके नियंत्रण के लिए उपलब्ध ल्यूर खरीद कर फेरोमेन ट्रैप द्वारा कीटों को पकड़ सकते हैं।
फेरोमोन ट्रैप को खेतों में लगाने के लिए निम्नलिखित स्टेप्स को फॉलो करें:
फेरोमोन ट्रैप कीट नियंत्रण के अन्य पारंपरिक उपायों जैसे रासायनिक कीटनाशकों, जैविक कीटनाशकों, एवं यांत्रिक विधियों से निम्न दृष्टिकोणों से बेहतर है:
फेरोमेन ट्रैप लगाने के बाद किसानों को कुछ आवश्यक सावधानी रखने की जरुरत है, ताकि यह प्रभावी तरीके से कीटों के नियंत्रण के लिए कारगर साबित हो:
फेरोमोन ट्रैप कीट नियंत्रण में काफी कारगर साबित हुआ है। यह विशेष रूप से उन कीटों के नियंत्रण में प्रभावी है जो मुख्य रूप से प्रजनन के लिए फेरोमोन का उपयोग करते हैं। यह कीटों के प्रजनन चक्र को बाधित करता है, जिससे उनकी संख्या नियंत्रित रहती है।
हमनें इस आर्टिकल में फेरोमोन ट्रैप के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्रदान किया है, ताकि वैसे किसान जो रासायनिक कीटनाशकों से परहेज करना चाहते हैं, या फिर जो जैविक कृषि से जुड़े हैं वे इसका इस्तेमाल करें। यह बिल्कुल ही कीटों पर नियंत्रण का एक पर्यावरण के अनुकूल समाधान है। इसकी तकनीक की सबसे बड़े खासियत है कि यह नर कीटों को ट्रैप में फांस कर उनके प्रजनन चैन को ब्रेक करता है। सामान्यतः एक नर कीट 4 से 5 मादा के साथ प्रजनन करता है, और एक मादा प्रजनन के बाद 250 से 300 अंडे देती है। इस प्रकार एक नर पतंगे को अगर ट्रैप करते हैं तो हम 1000 इल्लियों/पतंगों को पैदा होने से रोक देते हैं। प्रारंभ में तो किसानों को फेरीमोन ट्रैप के पूरे यूनिट्स को खरीदना होगा, लेकिन बाद में केवल कीटों के लिए उपयुक्त ल्यूर को बदलते रहना है। इस प्रकार यह एक कीटों/पतंगों को नियंत्रित करने का एक लागत प्रभावी तरीका है।