कृषि

मिट्टी में पोषक तत्व की कमी की मिनटों में करें पहचान! जानें तरीके

Updated on 29th April, 2025, By प्रशांत कुमार
शेयर करना
शेयर करना
मिट्टी में पोषक तत्व की कमी की मिनटों में करें पहचान! जानें तरीके
कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती है. विज्ञान एवं तकनीक के इस आधुनिक दौर में भी देश की आधी से अधिक आबादी आज भी अपने जीवन यापन के लिए कृषि पर निर्भर है. ऐसे में कृषि का उचित विकास या फसल का बेहतर उत्पादन होना अति आवश्यक है. जिसके लिए आवश्यक है अनुकूल मिट्टी, उपयुक्त सिंचाई, धूप एवं जरुरी देखरेख. लेकिन इन सबके बीच सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं – पोषक तत्व (Nutrients)। पोषक तत्व न केवल फसलों की अच्छी वृद्धि में सहायक होते हैं, बल्कि उनके प्रोडक्शन एवं क्वालिटी को भी प्रभावित करते हैं।

खेती में अच्छी पैदावार पाने के लिए यह जरूरी है कि फसल को सही समय पर सभी आवश्यक पोषक तत्व मिलें। लेकिन कई बार मिट्टी में किसी खास तत्व की कमी हो जाती है, जिसका सीधा असर पौधों की वृद्धि एवं उपज पर पड़ता है। इसलिए यह जानना बहुत जरूरी है कि फसलों में पोषक तत्वों की कमी को कैसे पहचाना जाए। क्योंकि बिना इसकी जानकारी के उपयुक्त खाद का प्रयोग नहीं कर पाएंगे। और गलत खाद का प्रयोग भी कई बार पौधों को नुकसान पहुँचाने का काम करता है। वैसे तो फसल बुआई के पहले मिट्टी को प्रयोगशाला में लेजाकर मृदा परीक्षण (Soil Testing) कर पोषक तत्वों की मात्रा की जाँच करने की सलाह दी जाती है, लेकिन प्रयोगशाला तक सभी किसानों की पहुँच नहीं होती है। वैसे किसानों की मदद के लिए आज हम इस आर्टिकल में एक तरीके का विश्लेषण करने वाले हैं, जिससे किसान पौधे की पत्तियां देख कर ये जान पाएंगें कि मिट्टी में फसल के स्वस्थ विकास के लिए आवश्यक कौन से पोषक तत्व की कमी है। आइये सबसे पहले जानें फसलों के लिए आवश्यक पोषक तत्व कौन-कौन से हैं।

फसलों के लिए आवश्यक प्रमुख पोषक तत्व कौन-कौन से हैं?

फसलों के लिए कुल मिलाकर 17 पोषक तत्व आवश्यक माने जाते हैं, जिन्हें तीन भागों में बाँटा गया है:

मुख्य पोषक तत्व (Macronutrients)

ये पोषक तत्व फसलों के विकास में सबसे अधिक भूमिका निभाते हैं:

  • नाइट्रोजन (N): पत्तियों की वृद्धि एवं हरेपन के लिए आवश्यक।
  • फॉस्फोरस (P): जड़ के विकास के लिए एवं बीज उत्पादन में सहायक होता है।
  • पोटेशियम (K): पौधों में रोग प्रतिरोधक क्षमता की वृद्धि करता है एवं जल का संतुलन बनाए रखता है।

माध्यमिक पोषक तत्व (Secondary Nutrients)

  • कैल्शियम (Ca): कोशिका भित्ति की मजबूती के लिए आवश्यक है।
  • मैग्नीशियम (Mg): प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक, क्योंकि यह क्लोरोफिल का हिस्सा होता है।
  • सल्फर (S): प्रोटीन संश्लेषण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

सूक्ष्म पोषक तत्व (Micronutrients)

हालांकि इनकी मात्रा कम होती है, लेकिन ये भी उतने ही ज़रूरी हैं:

  • लौह (Fe), जिंक (Zn), बोरोन (B), कॉपर (Cu), मैंगनीज (Mn), आदि।

उपर्युक्त बताये पोषक तत्वों की किसी मिट्टी में कमी होने पर फसल का स्वस्थ विकास संभव नहीं है। इसलिए आज हम या जानेंगे की पत्तियों के रंग और रुपरेखा को देखकर कैसे कर सकते हैं पोषक तत्वों की कमी की पहचान।

पोषक तत्वों की कमी की पत्तियों के अवलोकन से कैसे करें पहचान?

अगर अमुक पौधे के विकास के लिए मिट्टी में किसी पोषक तत्व की कमी होती है, तो पौधों पर उसका असर स्पष्ट दिखाई देता है। विशेषकर पत्तियों के विकास, रंग, एवं रुपरेखा पर पोषक तत्वों की कमी का तुरंत असर पड़ता है। अलग-अलग पोषक तत्वों का कमी का प्रभाव पत्तियों पर अलग-अलग पड़ता है। पत्तियों पर पड़ने वाले इन्हीं प्रभावों का अवलोकन कर हम मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी का पता लगा सकते हैं। आइये एक-एक कर जानते हैं फसल के लिए आवश्यक पोषक तत्व एवं उनकी कमी से पत्तियों पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में-

पत्तियों से पोषक तत्वों की कमी की पहचान

बोरोन (B):

पौधे के स्वस्थ विकास के लिए बोरोन का महत्वपूर्ण स्थान है, यह पौधों में कार्बोहाइड्रेट के स्थानान्तरण, कोशिका झिल्ली, परागकणों के अंकुरण व कोशिका विभाजन के लिए एक आवश्यक पोषक तत्व है।

इसकी कमी से फसल के विकास कर रहे यानी वर्धनशील भाग के पास पत्तियों का रंग पीला हो जाता है। पौधे की कलियाँ सफ़ेद या हल्के भूरे रंग की हो जाती है। यह लक्षण अगर किसी पौधे में पता चले तो आप यह जानें कि मिट्टी में बोरोन की कमी है, जिससे पौधे अपने विकास के लिए आवश्यक बोरोन की मात्रा ग्रहण नहीं कर पा रहे हैं।

कैल्सियम (Ca):

पौधे के विकास के लिए पोषक तत्व कैल्सियम का बहुत ही महत्त्व है, इसके होने से पौधे की जड़ें पानी में उपस्थित पोषक तत्व को अवशोषित करता है। पौधे के सेल्स एवं फल के लिए भी यह बहुत ही आवश्यक तत्व है।

मिट्टी में कैल्सियम की कमी पौधे की प्राथमिक पत्तियों पर सबसे पहले प्रभाव डालते हैं, जिससे सबसे कलियाँ के टॉप ख़राब हो जाते हैं एवं इनकी नोर्कें चिपक जाती है। यदि पौधे में ये लक्षण उभर कर आते हैं, तो आप समझ सकते हैं कि मिट्टी में कैल्सियम की कमी है।

गंधक (S):

खरीफ, दलहनी एवं तिलहनी सहित अन्य फसलों स्वस्थ विकास के लिए गंधक का महत्वपूर्ण स्थान है, यह पौधों में क्लोरोफिल के निर्माण में सहायक होता है। यह जड़ों एवं पौधों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

इसकी मिट्टी में कमी से पौधे की पत्तियां, शिराएं गहरे हरे से पीले रंग में बदल जाता है, एवं बाद में सफ़ेद रंग का हो जाता है। उल्लेखनीय है कि सबसे पहले इनका प्रभाव नई पत्तियों में देखा जाता है। अगर किसी भी किसान को पौधे की पत्तियोंब में ये लक्षण दिखाए देते हैं, तो उन्हें मिट्टी में गंधक की कमी पूरा करने वाला रासायनिक खाद डालना चाहिए।

लोहा (Fo):

पौधे में लोहा क्लोरोफिल एवं प्रोटीन बनाने में सहायक होता है। यह फसल की उत्पादकता एवं स्वस्थ विकास में सहायक होता है।

पौधों में इसकी कमी से तने के उपरी भाग पर सबसे पहले हरितिमाहीन के लक्षण दिखाए पड़ने लगते हैं। इसकी कमी होने से शिराओं के अलावे पत्तियों का रंग पीला हो जाता है। कमी होने पर पत्तियों पर भूरे रंग का धब्बा या मृत उत्तक के लक्षण प्रकट होते हैं।

मैगनीज (Mn):

किसी भी पौधे के स्वस्थ विकास के लिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण पोषक तत्व है। यह पौधों की जड़ों एवं पत्तियों में हरीतिमा के विकास में सहायक होता है।

इसकी मिट्टी में कमी होने से पौधे को आवश्यक मैगनीज नहीं मिल पाते हैं, जिससे पत्तियों का रंग पीला-धूसर या लाल-धूसर हो जाता है लेकिन शिराएँ हरी होती है। पत्ती के किनारे का भाग और शिरा का बिचला भाग हरितिमाहीन हो जाता है। हरीतिमाहीन पत्तियां अपने सामान्य आकार में होती है। पत्तियों में इन लक्षणों के उभरने पर आप ये समझ सकते हैं कि पौधे को मैगनीज पोषक तत्व की उचित मात्रा नहीं मिल पा रही है।

तांबा (Cu):

पौधे एवं तनों के विकास के लिए ताम्बे का बहुत महत्त्व है। इसकी मिट्टी में जरुरी मात्रा होने पर बीज का स्वस्थ विकास संभव हो पाता है।

मिट्टी में इसकी कमी से नई पत्तियां एक साथ गहरी पीले रंग की हो जाती है, तथा सूख कर गिरने लगती है। ऐसे लक्षण से तांबे की कमी समझी जा सकती है।

जस्ता (Zn):

यह पौधों विकास के लिए बहुत ही अहम् पोषक तत्व है, जो पौधे के विकास एवं बेहतर उपज के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।

पौधे में इसकी कमी से पत्तियों के शिराओं के मध्य हरीतिमा के लक्षण दिखाई पड़ती है। एवं पत्तियन का रंग कासा की तरह हो जाता है। इन लक्षणों के उभरने को मिट्टी में जस्ता की कमी माना जाता है।

मालिब्डेनम (Mo):

पौधे में यह नाइट्रोजन के अवशोषण, नाइट्रेट को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह प्रकृति प्रदत्त नाइट्रोजन को पौधों के लिए उपयोगी बनाता है।

इसकी कमी से पत्तियां सूख जाती है एवं हल्के हरे रंग की हो जाती है। मध्य शिराओं को छोड़कर पूरी पत्तियों पर सूखे हरे धब्बे दिखाई देते हैं। इसकी कमी से पौधे में नाइट्रोजन की कमी हो जाती है, जिसके प्रभाव से पत्तियों का हरापन ख़तम हो जाता है।

फास्फोरस (P):

मिट्टी में फास्फोरस की उचित मात्रा होने पर बीज का स्वस्थ अंकुरण होता है, एवं पौधे का उचित एवं तेजी से विकास संभव होता है।

इसकी मिट्टी में कमी होने से पौधे की पत्तियां छोटी रह जाती है तथा पौधे का रंग गुलाबी एवं गहरा हरा हो जाता है।

पोटेशियम (K):

पोटेशियम पौधे की वृद्धि के लिए बहुत ही आवश्यक है। यह जड़, तना एवं पत्ती के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मिट्टी से जल को अवशोषित कर पूरे पौधे में उसको पहुचाने की क्रिया में पोटेशियम का महत्वपूर्ण स्थान होता है।

इस पोषक तत्व की कमी होने पर पौधे के पुरानी पत्तियों का रंग पीला या भूरा हो जाता है। इसके साथ ही पत्तियों के बाहरी किनारे कट-फट जाते हैं। ऐसे लक्षण के उभरने पर आप मिट्टी में पोटेशियम की कमी को जान सकते हैं।

नाइट्रोजन (N):

यह प्रकाश संश्लेषण, अमीनो एसिड, प्रोटीन एवं डीएनए के संश्लेषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी कमी से पौधे धीमे गति से विकास करता है।

इसकी कमी से पौधे की पुरानी पत्तियां हल्की पीली हो जाती है यानी पत्ती का हरापन ख़तम हो जाता है। ये लक्षण मिट्टी में नाइट्रोजन की प्रचुर मात्रा की कमी को बताती है।

ट्रैक्टरकारवां की ओर से

पोषक तत्व फसल की रीढ़ होते हैं। सही समय पर, सही मात्रा में एवं सही प्रकार के पोषक तत्व देने से ही स्वस्थ फसल और उच्च उत्पादन संभव है। इसके लिए समय रहते पोषक तत्व की कमी को खाद के छिड़काव द्वारा पूरी की जा सकती है। आप पोषक तत्वों की कमी से पौधे की पत्तियों की रुपरेखा एवं उनमें उभरने वाले लक्षण के आधार पर भी समय रहते पोषक तत्वों की कमी का पता लगा कर फसल को ख़राब होने से बचा सकते हैं। वैसे तो किसानों को हमारी सलाह है कि किसी भी फसल को बोने से पहले मृदा का परिक्षण अवश्य करवा लें। जिन किसानों का प्रयोगशाला तक पहुँच संभव नहीं है वे पौधे की बुआई/रोपाई के बाद पत्तियों का निरंतर निरिक्षण कर मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी का पता लगा सकते हैं। हमारा उद्देश्य हर कदम पर किसानों के सहायक के तौर पर उभरने का है।

प्रशांत कुमार
Published By
प्रशांत कुमार
प्रशांत कुमार ट्रैक्टर एवं कृषि क्षेत्र में रुचि रखने वाले एक अनुभवी हिंदी कंटेंट एक्सपर्ट हैं। लेखनी के क्षेत्र में उनका 12 वर्षों से अधिक का अनुभव है। उन्होंने इससे पूर्व में विभिन्न मीडिया हाउसेस के लिए काम किया है। अपने खाली समय में, वे कविता लिखना, पुस्तकें पढ़ना एवं ट्रेवल करना पसंद करते हैं।
प्रशांत कुमार के बारे में और पढ़ें


पॉपुलर आर्टिकल


कैटेगरी के अनुसार अन्य आर्टिकल

Close

कॉल करें

+91-8925-8521-29
Disclaimer: The Website is only providing services by providing indepth & well-researched information on various vehicles and implements to the Users. If you express your interest in any of the vehicles or implements whose information is provided on the Website, Your details shall be shared as a sales lead for TVS Credit. The Website neither facilitate, in any manner, the purchase and sale of any vehicle or implement whose information is displayed and does not as a 'live/online marketplace' in terms of Information Technology Act, 2000 (as amended from time to time) nor provide loans.
All images displayed on this Website are for illustration and representation purposes only. Actual vehicle, specifications, colors, and features may vary from those shown in the images. Tractorkarvan does not guarantee that the images accurately reflect the final product.