मानव जाति की रोटी, कपडा और मकान की तीन मूलभूत आवश्यकताओं में रोटी यानी भोजन का सबसे ज्यादा महत्व है और भोजन बिना सब्जियों के अधूरा है। गर्मियों में सब्जियाँ उगाना न केवल फायदेमंद होता है, बल्कि बेहद संतुष्टिदायक अनुभव भी होता है। क्योंकि आप इसे अपने हाथों, अपने श्रम से उगाते हैं, जो ना केवल आपके डाइनिंग टेबल की शोभा बढ़ाते हैं, बल्कि यह आपके भोजन को पोषक तत्वों से भरपूर बनाता है।
आज हम जानेंगे उन 4 सब्जियाँ के बारे में जो भारत की गर्मी में भी अच्छी तरह उगती हैं। अगर आप ग्रीष्मकाल में इन चार सब्जियों को अपनी खेतों/बागवानी में उगाने के काम करते हैं, तो अवश्य ये गर्मी का मौसम आपके लिए वरदान साबित हो सकता है। ये 4 ग्रीष्मकालीन सब्जियां है:
टमाटर गर्मियों की सबसे अच्छी सब्ज़ी है। टमाटर का इस्तेमाल लगभग हर भारतीय व्यंजन में किया जाता है—ताज़ी करी से लेकर ताज़ा सलाद एवं मसालेदार चटनी तक। टमाटर के स्वस्थ पौधे उगाने के लिए 25°C से अधिक तापमान की आवश्यकता होती है। गर्म तापमान टमाटर को जल्दी पकने के लिए एकदम सही वातावरण प्रदान करता है। ये न केवल मल्टी-पर्पस हैं बल्कि इन्हें उगाना भी बेहद आसान है। इसके बीज को हम सीधे बो सकते हैं। लेकिन हमें अंकुरण के दौरान बीजों को नम रखना चाहिए। टमाटर के पौधे के लिए धूप वाली जगह, अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी और लगातार पानी की ज़रूरत होती है। ध्यान रहे पौधा बनने के बाद इसमें पानी एक या 2 दिन के अन्तराल में देना आवश्यक है। सही देखभाल के साथ, इन्हें कंटेनर, हैंगिंग बास्केट या सीधे ज़मीन में उगाया जा सकता है।
ताज़गी देने वाले, हाइड्रेटिंग एवं पानी की मात्रा से भरपूर खीरे की खेती मार्च के महीने के लिए बेस्ट होती है. इसकी बुवाई का सही समय मार्च से अप्रैल होता है. खीरे भारत के गर्म तापमान में पनपते हैं और तेज़ी से बढ़ते हैं, जिससे जल्दी परिणाम पाने की चाहत रखने वाले घरेलू बागवानों के लिए एक बढ़िया आप्शन हो सकते हैं। खीरे के बीजों को बोने से पहले भिगो लेना चाहिए। क्योंकि भिगोए हुए बीज जल्दी अंकुरित होंगे। किसान इसकी खेती दोमट या बलुई मिट्टी में अच्छे से कर सकते हैं. ध्यान रहे खीरे को अधिक बहुत पानी की ज़रूरत होती है, इसलिए नियमित रूप से पानी देना ज़रूरी है। गर्मी में खीरे की सिंचाई 5-6 दिन के अंतराल पर करनी चाहिए. खीरे की फसल में सही मात्रा में जैविक खाद, पोटाश और नाइट्रोजन का उपयोग करने से 40-45 दिनों के बाद पहली तुड़ाई की जा सकती है. चाहे आप उन्हें ज़मीन पर उगाएँ या कंटेनर में, खीरे पनपेंगे एवं आपको भरपूर फ़सल देंगे।
भिंडी, या ओकरा कई भारतीय रसोई में एक मुख्य व्यंजन है। भिंडी में विटामिन ए और सी, फोलेट और फाइबर जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं। यह करी, स्टिर-फ्राई या कुरकुरे फ्रिटर्स बनाने के लिए एकदम सही है। यह एक लचीला पौधा है जो गर्म और आर्द्र जलवायु में पनपता है, जिससे यह भारत में उगाई जाने वाली सबसे अच्छी गर्मियों की सब्जियों में से एक बन जाती है। इस पौधे की देखभाल कम करनी पड़ती है एवं इसे छोटे किचन गार्डन और बड़े खेतों दोनों में उगाया जा सकता है। इसमें कम पानी की आवश्यकता होती है, इसकी सिंचाई 7-10 दिन के अंतराल पर करनी चाहिए। अगर भिंडी की फसल में नाइट्रोजन, फास्फोरस और जैविक खाद का संतुलित उपयोग करें तो यह और बेहतर उपज दे सकता है। अपने चमकीले पीले फूलों के साथ लंबे, पतले पौधे जल्द ही खाने योग्य हरी फली में बदल जाते हैं जिन्हें हम सभी पसंद करते हैं। भिंडी की फसल सामान्यतः 2 से 3 महीनों में ही अच्छा उत्पादन देना शुरू कर देती है।
लौकी भारत की गर्मी के मौसम के लिए एक सूटेबल शब्जी है। इस बहुमुखी सब्जी का इस्तेमाल भारतीय व्यंजनों में व्यापक रूप से किया जाता है, करी से लेकर सूप और यहाँ तक कि "लौकी का जूस" जैसे पेय पदार्थों में भी। यह अपने ठंडक देने वाले गुणों एवं उच्च मात्रा में पानी होने के लिए जानी जाती है, जो इसे गर्मियों के लिए एकदम सही सब्जी बनाती है। लौकी की बेलों को बढ़ने के लिए बहुत जगह की ज़रूरत होती है, इसलिए यह बड़े बगीचों या वर्टिकल गार्डन के लिए आइडियल है। इसके लिए पूरी धूप, गर्म तापमान और नियमित रूप से पानी देने की ज़रूरत होती है। गर्मी के मौसम में 5 से 7 दिनों के अन्तराल में इसमें पानी देनी चाहिए। लौकी की देखभाल करना अपेक्षाकृत आसान है और थोड़ी सी देखभाल से, यह लंबे, पतले फल पैदा करेगी जो कई तरह के व्यंजनों के लिए एकदम सही हैं। लौकी के फसल की बुआई के 2 महीने के बाद फल तोड़ने योग्य हो जाते हैं।